बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जायेगी, मगर कौन ध्यान रखता है। सर्वत जमाल साहब ने साखी (sakhikabira.blogspot.com) ब्लॉग पर कहा कि इसके ब्लॉगस्वामी डाक्टर सुभाष राय रात को भी नहीं सोते। बस इसी बात से इस ग़ज़ल के मत्ले का शेर पैदा हुआ। देखना है अब ये बात कहॉं तक जाती है। यह मेरा प्रथम प्रयास है यथासंभव हिन्दी शब्दों के उपयोग का, कोई कारण नहीं, बस स्वयंपरीक्षण भर है अन्यथा मुझे तो मिलीजुली भाषा ही पसंद है जो मैं बचपन से सुनता और बोलता आया हूँ।
ग़ज़ल
रात हो या दिन, कभी सोता नहीं,
सूर्य का विश्राम पल होता नहीं।
चाहतें मुझ में भी तुमसे कम नहीं,
चाहिये पर, जो कभी खोता नहीं।
मोतियों की क्या कमी सागर में है,
पर लगाता, अब कोई गोता नहीं।
देखकर, परिणाम श्रम का, देखिये
बीज कोई खेत में बोता नहीं।
व्यस्तताओं ने शिथिल इतना किया
अब कोई संबंध वो ढोता नहीं।
क्यूँ में दोहराऊँ सिखाये पाठ को
आदमी हूँ, मैं कोई तोता नहीं।
देख कर ये रूप निर्मल गंग का
पाप मैं संगम पे अब धोता नहीं।
जब से जानी है विवशता बाप की,
बात मनवाने को वो रोता नहीं।
हैं सभी तो व्यस्त 'राही' गॉंव में
मत शिकायत कर अगर श्रोता नहीं।
तिलक राज कपूर 'राही' ग्वालियरी
Wednesday, September 29, 2010
Saturday, September 11, 2010
ईद मुबारक
दो तीन दिन से मन में विचार चल रहा था कि ईद के मुबारक मौके पर एक ग़ज़ल ब्लॉग पर लगाई जाये। बहुत कोशिश करने पर भी सफ़ल नहीं रहा तो एक बार फिर मदद मिली कभी पढ़ी हुई एक ग़ज़ल से जिसका बस यही एक मिसरा याद रहा है कि 'मिलें क्यूँ न गले फिर शंभु और सत्तार होली में' । किसकी ग़ज़ल है यह याद नहीं। बस इसी को आधार बना कर कुछ भावनायें व्यक्त करने की कोशिश की है। बेटे को फोटोग्राफ़ी का शौक है, सुब्ह-सुब्ह निकल पड़ा भोपाल की शान 'ताज-उल-मसाजि़द' की ओर। उसी का लिया एक फ़ोटोग्राफ़ लगा रहा हूँ, और फ़ोटो देखना चाहें तो फ़ेसबुक पर निशांत कपूर को तलाश लें। ग़ज़ल नहीं कुछ और दिल को चाहिये इस बार ईदी में खुदा तू जोड़ दे इंसानियत के तार ईदी में। तेरी नज़्रे इनायत से न हो महरूम कोई भी सभी के नेक सपने तू करे साकार ईदी में। न कोई ग़म किसी को हो दुआ दिल से मेरे निकले गले सबसे मिले खुशियों भरा संसार ईदी में। रहे न फ़र्क कोई मंदिर-ओ-मस्जि़द औ गिरजा में सभी मिलकर सजायें उस खुदा का द्वार ईदी में। मुहब्बत ही मुहब्बत के नज़ारे हर तरफ़ देखूँ खुदा निकले दिलों से इक मधुर झंकार ईदी में। मिटाकर नफ़्रतों को भाईचारे की इबादत हो करें इंसानियत का मिल के सब श्रंगार ईदी में। खुदा से मॉंगता आया है पावन ईद पर ‘राही’ बढ़ा दिल में सभी के और थोड़ा प्यार ईदी में। तिलक राज कपूर ‘राही’ ग्वालियरी |
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