tag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post5525449153936047409..comments2023-04-27T02:07:20.961-07:00Comments on रास्ते की धूल: सांप्रदायिक सद्भाव पर एक ग़ज़लतिलक राज कपूरhttp://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comBlogger50125tag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-73978077685362114022010-10-21T22:49:30.743-07:002010-10-21T22:49:30.743-07:00जरूरी तो नहीं मंदिर औ गिरजा या हो गुरुद्वारा
सुकूँ...जरूरी तो नहीं मंदिर औ गिरजा या हो गुरुद्वारा<br />सुकूँ मिलता जहॉं पर हो इबादत कीजिये साहब।<br /><br />Par sahiab, un shaitano ki kya kahiye jinhe darindgi dikhane me hi sukoon mileta hai. Inko ignore karke jeena bhi mushkil hai,kyonki ye amanparaston ko ignore nahi kar sakte..Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-72116688500973998152010-10-20T19:17:48.867-07:002010-10-20T19:17:48.867-07:00AB main kya kahoon. Nishabta mein hi sab shamil ha...AB main kya kahoon. Nishabta mein hi sab shamil hai..WwwwwwwwwwwwwwwwwOOOWWWWWWW!!Devi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-41529536932347156052010-10-15T13:02:59.484-07:002010-10-15T13:02:59.484-07:00अच्छा प्रयोग है राही साहब ! बधाई !अच्छा प्रयोग है राही साहब ! बधाई !jogeshwar garghttps://www.blogger.com/profile/18415761246834530956noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-30595760780901653762010-10-14T11:07:24.001-07:002010-10-14T11:07:24.001-07:00बहुत बढ़िया राही साहब ।बहुत बढ़िया राही साहब ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-45450917015482649882010-10-14T06:16:35.524-07:002010-10-14T06:16:35.524-07:00Tilak saHeb!
namaskaar!
deree ke liye muafi chaaht...Tilak saHeb!<br />namaskaar!<br />deree ke liye muafi chaahtaa huN. pehli fursat meN aapke shaahkaar par nazar paDee to dil baagh baagh ho gayaa. is khoobsoorat ghazal par meree hazaar_haa daad qabool kiijiye. <br />saadar<br />Dheerdheerhttps://www.blogger.com/profile/01314128616324402049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-87211474162665328242010-10-11T02:25:43.725-07:002010-10-11T02:25:43.725-07:00This comment has been removed by the author.इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-40073460443286199042010-10-11T02:25:36.945-07:002010-10-11T02:25:36.945-07:00अगर कर पायें तो, इतनी इनायत कीजिये साहब
दिलों में ...अगर कर पायें तो, इतनी इनायत कीजिये साहब<br />दिलों में फ़ूट की न अब, शरारत कीजिये साहब।<br />वाह!इस समझ की बेहद ज़रूरत है<br /><br /><br />वो मेरा हो, या तेरा हो, या इसका हो, या उसका हो<br />सभी मज़्हब तो कहते हैं इआनत कीजिये साहब।<br />बिल्कुल सही कहा आपने<br /><br /><br />अगर ये थम गया तो फिर तरक्की हो नहीं सकती<br />वतन चलता रहे ऐसी सियासत कीजिये साहब।<br />सियासत वाले लोग वतन के बारे में सोचते तो<br />इस गुज़ारिश की ज़रूरत नहीं होती<br /><br /><br />सभी मज़्हब सिखाते हैं शरण में गर कोई आये<br />तो अपनी जान से ज्यादह हिफ़ाज़त कीजिये साहब।<br />बहुत ख़ूब!ये तो हमारे देश की संस्कृति का हिस्सा भी है<br /><br />देर से आने के लिये क्षमा चाहती हूंइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-37321452378768325332010-10-09T23:53:21.256-07:002010-10-09T23:53:21.256-07:00कपूर साहब
मैं इस लायक नहीं कि आपकी ग़ज़ल पर कमेन्ट...कपूर साहब<br />मैं इस लायक नहीं कि आपकी ग़ज़ल पर कमेन्ट कर सकूं.........सिर्फ सीख सकता हूँ आपसे ! फिर भी......!<br />कभी न हुक्म में उसके इदारत कीजिये साहब<br />सदाकत से सदा उसकी इताअत कीजिये साहब।<br />जानलेवा मतला............<br />अगर कर पायें तो, इतनी इनायत कीजिये साहब<br />दिलों में फ़ूट की न अब, शरारत कीजिये साहब।<br />और<br />बड़ी मुश्किल से, अम्नो-चैन की तस्वीर पाई है<br />यही कायम रहे, ऐसी वकालत कीजिये साहब।<br />आज का सच यही है....आपकी इस इल्तिजा में हमारा स्वर भी शामिल समझिये......!<br />किसी मज़्हब में दुनिया के कहॉं नफ़्रत की बातें हैं<br />अगर वाईज़ ही भटकाये, खिलाफ़त कीजिये साहब।<br />********<br />शहर के बंद रहने से कई चूल्हे नहीं जलते<br />न ऐसा हो कभी ऐसी इशाअत कीजिये साहब।<br />काश ये सब समझ पते...तल्ख़ बयानी का शुक्रिया कपूर साहब........दाद देने का सलीका भी नहीं आता हमें तो.<br />जरूरी तो नहीं मंदिर औ गिरजा या हो गुरुद्वारा<br />सुकूँ मिलता जहॉं पर हो इबादत कीजिये साहब।<br />सबसे सच्चा शेर.........कुर्बान हो लिए सर जी हम तो......!<br /><br />अगर ये थम गया तो फिर तरक्की हो नहीं सकती<br />वतन चलता रहे ऐसी सियासत कीजिये साहब।<br />काश कुछ रहनुमा भी समझ ले इस बात को......Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-11530686810410087382010-10-07T09:51:09.333-07:002010-10-07T09:51:09.333-07:00इताअत,इनाअत,इनाबत,इशाअत,इताहत,इआनत,रफाकत जैसे लफ्ज...इताअत,इनाअत,इनाबत,इशाअत,इताहत,इआनत,रफाकत जैसे लफ्जों से रूबरू कराने के लिए शुक्रिया। अर्थ लिखे न होते गज़ल समझ ही न पाता। लिख कर प्रयास किया कि याद हो जाए।<br />गज़ल के बारे में क्या लिखूं..लाजवाब है हर एक शेर।<br /><br />किसी मज़्हब में दुनिया के कहॉं नफ़्रत की बातें हैं<br />अगर वाईज़ ही भटकाये, खिलाफ़त कीजिये साहब।<br />..वाह!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-17010909610338319972010-10-06T23:03:52.343-07:002010-10-06T23:03:52.343-07:00bahut sundar abhivyakti....
dhanyavad sangeeta ji ...bahut sundar abhivyakti....<br />dhanyavad sangeeta ji ka,charchamanch ka...., aapke is blog tak aane ka awsar mila!<br />shubhkamnayen!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-79560829320166250592010-10-06T21:03:27.119-07:002010-10-06T21:03:27.119-07:00अगर कर पायें तो, इतनी इनायत कीजिये साहब
दिलों में ...अगर कर पायें तो, इतनी इनायत कीजिये साहब<br />दिलों में फ़ूट की न अब, शरारत कीजिये साहब।<br /><br />बड़ी मुश्किल से, अम्नोइ-चैन की तस्वी र पाई है<br />यही कायम रहे, ऐसी वकालत कीजिये साहब।<br /><br />शहर के बंद रहने से कई चूल्हेव नहीं जलते<br />न ऐसा हो कभी ऐसी इशाअत कीजिये साहब।<br /><br />किसी मज्हब में दुनिया के कहॉं नफ़्रत की बातें हैं<br />अगर वाईज़ ही भटकाये, खिलाफ़त कीजिये साहब।<br /><br />अगर ये थम गया तो फिर तरक्की हो नहीं सकती<br />वतन चलता रहे ऐसी सियासत कीजिये साहब।<br /><br />कहॉं धरती सिवा जीवन वृहद् ब्रह्मांड में जाना<br />किसी भी जीव से फिर क्यूँ शिकायत कीजिये साहब?<br /><br />वकालत को अगर 'राही' बनाया आपने पेशा<br />न इन फ़िर्क़:परस्तों की हिमायत कीजिये साहब।<br />राही जी आदर के साथ मेरी प्रतिक्रिया है कि आपकी ग़ज़ल में केवल इतने ही शेर भी होते तो भी बात वही निकलती जो अब निकल रही है। दूसरे अर्थ में कहूं तो एक आम आदमी या आम पाठक के लिए इतना ही पर्याप्त है। <br />शुभकामनाएं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-65110653032755393902010-10-05T22:55:18.888-07:002010-10-05T22:55:18.888-07:00आदरणीय तिलक जी की ग़ज़लें तो हमेशा ही सौष्ठव और आश...आदरणीय तिलक जी की ग़ज़लें तो हमेशा ही सौष्ठव और आशारों से सजी-धजी होती हैं..और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आपकी ग़ज़लों में एक समष्टि सन्देश निहित होता है..जो आपके रचनाधर्म को बखूबी एक स्तर पर ले जाता है ..<br /><b>जरूरी तो नहीं मंदिर औ गिरजा या हो गुरुद्वारा<br />सुकूँ मिलता जहॉं पर हो इबादत कीजिये साहब।</b><br />इस शेर में जो भाव व्यक्त हुवे हैं...खासकर मुझे बहुत ही यथार्थ और अच्छे लगे..इसलिए मैंने इसे याद भी कर लिया...!<br />एक बार फिर अपनी चिर-परिचित अंदाज़ में आप द्वारा एक मुकम्मल ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया ! आभार, नमन !!Narendra Vyashttps://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-1444346940938987602010-10-05T11:21:36.565-07:002010-10-05T11:21:36.565-07:00Nice lines.. cudnt understand them widout da help ...Nice lines.. cudnt understand them widout da help of ur levels... m sure dat following u 'll definitely gonna help me in imroving my language..monalihttps://www.blogger.com/profile/00644599427657644560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-90494865185844488052010-10-05T10:23:41.208-07:002010-10-05T10:23:41.208-07:00किसी मज़्हब में दुनिया के कहॉं नफ़्रत की बातें है...किसी मज़्हब में दुनिया के कहॉं नफ़्रत की बातें हैं<br />अगर वाईज़ ही भटकाये, खिलाफ़त कीजिये साहब।<br /><br />बहुत अच्छी गज़ल कही अपने...gyaneshwaari singhhttps://www.blogger.com/profile/16752930608738766658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-86741986060308255162010-10-05T08:30:25.895-07:002010-10-05T08:30:25.895-07:00बेहतरीन गज़ल. सुंदर भाव.बेहतरीन गज़ल. सुंदर भाव.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-26691600291389868962010-10-05T08:16:02.684-07:002010-10-05T08:16:02.684-07:00क्या खूब कही..बहुत सुन्दर गज़ल ..सभी शेर उम्दा है.....क्या खूब कही..बहुत सुन्दर गज़ल ..सभी शेर उम्दा है..बहुत-बहुत बधाई कपूर साहब!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-85576844132440403402010-10-05T08:16:02.376-07:002010-10-05T08:16:02.376-07:00क्या खूब कही..बहुत सुन्दर गज़ल ..सभी शेर उम्दा है.....क्या खूब कही..बहुत सुन्दर गज़ल ..सभी शेर उम्दा है..बहुत-बहुत बधाई कपूर साहब!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-87380730008298128652010-10-05T08:09:25.144-07:002010-10-05T08:09:25.144-07:00संवेदनाओं के साथ साथ बहुत बढ़िया शब्द संयोजन ...सु...संवेदनाओं के साथ साथ बहुत बढ़िया शब्द संयोजन ...सुंदर ग़ज़ल के लिए धन्यवादविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-6554050597381895592010-10-05T07:21:46.300-07:002010-10-05T07:21:46.300-07:00कभी न हुक्म में उसके इदारत कीजिये साहब
सदाकत से स...कभी न हुक्म में उसके इदारत कीजिये साहब<br />सदाकत से सदा उसकी इताअत कीजिये साहब।<br /><br />इस शेर का भाव बहुत पसंद आया कि ईश्वर के हुक्म में कुछ एडिट भी न करो , जैसा है वैसा ही स्वीकार करो और उसकी मर्जी से चलो .शारदा अरोराhttps://www.blogger.com/profile/06240128734388267371noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-73755023026682913742010-10-05T07:01:51.103-07:002010-10-05T07:01:51.103-07:00behtreen kaha aapne...badhai bhai ji....behtreen kaha aapne...badhai bhai ji....योगेन्द्र मौदगिलhttps://www.blogger.com/profile/14778289379036332242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-87823712038298073482010-10-05T05:27:57.576-07:002010-10-05T05:27:57.576-07:00बड़े ख़ूबसूरत ख़याल हैं, बधाई !बड़े ख़ूबसूरत ख़याल हैं, बधाई !संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-66018274324669037242010-10-05T04:31:16.769-07:002010-10-05T04:31:16.769-07:00किस किस पंक्ति को उतार कर रखों, बहुत सुन्दर बात कह...किस किस पंक्ति को उतार कर रखों, बहुत सुन्दर बात कही है, अर्थ लिख दिए हैं तो समझाने में बहुत सुविधा रही. इस समय सबसे अनुकूल बात कही है अपने . ऐसे ही शायरों के प्रभावित होकर लोग अपने रास्ते छोड़ कर अमन और चैन कि बात करने लगे हैं. इस समय देश में अदालत के फैसले का जो सम्मान किया हैवह<br />वास्तव में भारतीय संस्कृति के अनुकूल है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-31278814896064508692010-10-05T03:41:45.635-07:002010-10-05T03:41:45.635-07:00बहुत ख़ूब, कपूर साहब ! अपना तो मानना है कि बात/कंट...बहुत ख़ूब, कपूर साहब ! अपना तो मानना है कि बात/कंटेट में वज़न ज़्यादा ज़रुरी है। अगर वह है तो शहर और नगर का फ़र्क़ ज़्यादा मायने नहीं रखता। शायर तो वैसे भी आवारगी का हमसफ़र है, उसे इतना कट्टर और तंगनज़र नहीं होना चाहिए। पुराने उस्ताद भी अपनी सहूलियत के हिसाब से छूटें लेते रहे हैं। बहरहाल आपके कुछेक शेरों को खास तौर पर दोहराना चाहूंगा:<br /><br />जुनूँ छाया है दिल में गर किसी को मारने का तो,<br />मेरी है इल्तिज़ा इसकी इताहत कीजिये साहब।<br /><br />सियासत और मज़्हब जोड़ना फि़त्रत है शैतानी<br />इन्हें जोड़े अगर कोई, मलामत कीजिये साहब।<br /><br />अगर हम दूरियों को दूर ही रक्खें तो बेहतर है<br />मिटाकर दूरियॉं सारी रफ़ाकत कीजिये साहब।Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-8760350478560564342010-10-05T02:38:08.213-07:002010-10-05T02:38:08.213-07:00जरूरी तो नहीं मंदिर औ गिरजा या हो गुरुद्वारा
सुकूँ...जरूरी तो नहीं मंदिर औ गिरजा या हो गुरुद्वारा<br />सुकूँ मिलता जहॉं पर हो इबादत कीजिये साहब।<br /><br />एक लफ्ज़ में कहूँ तो कमाल...बेमिसाल...लाजवाब...वाह..वाह...वाह.<br />कपूर साहब ये हुस्न बिखेरना आपके ही बस की बात है...हमारे जैसे नौसिखिए तो इस तरह का तजुर्बा सोच भी नहीं सकते.<br />वैसे आपने एक तीर से दो निशाने साधे हैं...आपने अपने उर्दू ज्ञान का परिचय हमें करवाया है और देश प्रेम का सन्देश भी लगे हाथ दे दिया है...गज़ब.<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3626297793829921289.post-74163303786458535222010-10-05T02:25:51.736-07:002010-10-05T02:25:51.736-07:00अगर हम दूरियों को दूर ही रक्खें तो बेहतर है
मिटाक...अगर हम दूरियों को दूर ही रक्खें तो बेहतर है<br />मिटाकर दूरियॉं सारी रफ़ाकत कीजिये साहब।<br />रफ़ाकत- मैत्री, दोस्ती <br /><br />कपूर साहब,<br />साम्प्रादायिक सद्भाव पर आधारित आपकी सारी गजलें सम्सम्यीक हैं और मन को छूती हैं.हमारी समझ इतनी नहीं है मगर आपके अल्फाजों ने स्तब्ध कर दिया है.<br />सादरRajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.com